इस्लामी नया साल कब से शुरू होता है

इस्लामी नया साल
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इस्लामी नया साल

आपको हर बार लगता होगा इग्लिश नया साल 31 दिसम्बर के बाद शुरू होता है तो इस्लामी नया साल कब से शुरू होता है, जैसे इंग्लिश कैलेंडर वैसा इस्लामी कैलेंडर है तो उसकी तिथियां कैसी है.

आज हम इस्लाम और इस्लामी कैलेंडर की पुरी जानकारी देंगे, इस्लाम मे नए साल की शुरुआत का निर्धारण करने के लिए इस्तेमाल की गई विधी की तिथि अलग हो सकती है मगर इसके लिये मुस्लीम स्थानीय चंद्रमा दिखने का समय का उपयोग करना या नए तरीके मे खगोलीय गणनाओं का उपयोग कर चांद का दीदार करना शामिल है और बाद मे एक दुसरे को मुबारकबाद देना.

इस्लामी नया साल के कुछ fact (इस्लामी नया साल क्यों मानते है?)

इस्लामी नया साल क्यों मानते है

इस्लामिक कैलेंडर के पहले महीने के पहले दिन इस्लामिक नव वर्ष शुरू होता है.

इस्लामी वर्ष के पहले महीने को मुहर्रम कहा जाता है.

क्या है हिजरा hijra?.

इस्लामिक नव वर्ष को 622 ईस्वी के बाद से किया जा रहा है जब पैगंबर मोहम्मद धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए मक्का (Mecca) से यत्रिब (पुराना नाम अब Madina कहा जाता है) निकल गये थे. इस प्रवास को अरबी में हिजरा (hijra) कहा जाता है, जिसे हेगिरा भी कहा जाता है.

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इस्लामी कैलेंडर

इस्लामी कैलेंडर चंद्र वर्ष पर आधारित है.

इस्लामिक कैलेंडर में 12 महीने होते हैं लेकिन केवल 354 दिन.

इस्लामिक नव वर्ष आमतौर पर कम महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजनों के साथ मनाया जाता है.

इस दिन कुछ मुस्लिम देशों में एक आधिकारिक छुट्टी होती है, लेकिन कई दूसरे देशो में एक नियमित कार्य दिवस है.

मुहम्मद पैगंबर (Prophet Muhammad) कोन थे?

मुहम्मद पैगंबर (Prophet Muhammad) जिन के नाम कि स्पेलिंग कभी-कभी Mohammed या Mohammad भी लिखी जाती है, माना जाता है उनका जन्म मक्का, सऊदी अरब में 570 ए डी में हुआ था.

मुसलमानों का मानना है कि वह मानव जाति के प्रति अपने विश्वास को प्रकट करने के लिए उपर वाले द्वारा भेजे गये अंतिम पैगंबर थे. इस्लामिक ग्रंथों और परंपरा के अनुसार, गेब्रियल नाम के एक देवदूत ने 610 ए डी में जब धरती का दौरा किया, तब मुहम्मद पैगंबर एक गुफा में ध्यान कर रहे थे.

तब देवदूत ने मुहम्मद पैगंबर को अल्लाह के शब्दों को सबको सुनाने का आदेश दिया. मुसलमानों का मानना है कि मुहम्मद पैगंबर को जीवन भर अल्लाह से खुलासे मिलते रहे. लगभग 613 के शुरूवात से मुहम्मद पैगंबर ने पूरे मक्का में उपदेश देना शुरू किया. उन्होंने सिखाया कि अल्लाह के सिवा कोई दूसरा ईश्वर नहीं था और मुसलमानों को अपना जीवन इस ईश्वर में समर्पित कर देना चाहिए.

आपको इस्लामी नया साल और इस्लाम के बारे जानकारी कैसी लगी? हमे comments मे जरुर बताये और कुछ रह गया हो या कुछ हमे बताना है तो आपका स्वागत है comment जरूर किजीये. और Article अपने दोस्तों से social network पे जरूर share करें.

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