गुरु नानक जयंती पर जानकारी
अभी इस वक्त जहां देश में दिवाली की धूम छाने लगी है वहीं सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी की 551 की जयंती की तैयारियां भी जोरोपे है inhindi.site पे गुरु नानक जयंती पर जानकारी देना चाहते है।

दुनिया मे भारत एकलोता ऐसा देश है जहां एकता भी है और विभिन्नता भी है ऐसा इसलिए क्योंकि यहां दुनिया के सबसे ज्यादा अलग अलग धर्म के लोग एक साथ रहते हैं
कुछ धर्म तो अब सिर्फ भारत मे ही पाये जाते है। भारत मे कई त्यौहार सभी धर्मो के लोग एक साथ मिल के मनाते हैं तो चलीये आगे पढते है।
चलिए अब हम आपको बताएंगे सिख धर्म की स्थापना कैसे हुयी और कैसे पूरी दुनिया में भाईचारे और सद्भाव का प्रचार कीया।
गुरु नानक देव जी का जन्म स्थान
2020 मे गुरु नानक जयंती 30 नवंबर को है, सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव की 551 वी जयंती है गुरु नानक जी का जन्म एक हिंदू परिवार में कार्तिक पूर्णिमा, संवत् 1527 अभी के कॅलेंडर के हिसाब से 15 अप्रैल 1469 तलवंडी अभी का ननकाना साहिब, पाकिस्तान मे पिता लाला कल्याण राय (मेहता कालू जी) और माता तृप्ता देवी के घर हुवा।
गये साल 2019 गुरु नानक जयंती मे 550 वर्ष पुरे हुये थे उसपर पर भारत सरकार ने सिख समाज को बड़ी सौगात देते हुये पाकिस्तान के साथ मिलकर करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए कॉरिडोर का निर्माण किया क्यु कि गुरु नानक देव जी ने अपने अंतिम दिन करतारपुर मे बिताये थे इसे गुरु नानक देव जी की मिट्टी भी कहा जाता है जैसे के हमने बताया देवजी के जिंदगी का आखिरी ठिकाना यही करतारपुर था।
गुरु नानक देव जी की कुछ अनसूनी जानकारी
गुरु जी को उनके मानने वाले उन्हे नानक, नानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह इन सब नामों से पुकारते थे गुरु नानक देव जी अद्भुतशक्तियो के धनी थे बहुत कम उम्र में उन्हे हर विषय का ज्ञान हो गया था उस समयउन्हे बोहत ज्ञानी माना जाने लगा था।
उनकी शादी कम उम्र हो गई थी और उनकी दो संतानें हुई लेकिन बाद में नानक जी सांसारिक मोह माया को छोड़ अन्य लोगों में अपने सिद्धांतों का प्रचार करने में जुट गए, वो एक ज्ञानी होने के साथ-साथ एक अच्छे सूफी कवि थे उनकी भाषा में पंजाबी खड़ी बोली जैसे कई भाषाओं का मिक्स मिलता है।
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सिख धर्म की स्थापना
जब भारत पर अरब अपने चरम पर थे तब गुरु नानक देव के संदेशों से इस्लामी आतंक से त्रस्त लोगो को और देश के अन्य भागों के हिंदुओं को बड़ी राहत मिली गुरु नानक देव जी अत्याचार पर चोट की एक और मुस्लिम शासकों द्वारा चलाई जा रही अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद की दूसरी ओर इंसान इंसान के बीच भेदभाव करने वाली सामाजिक व्यवस्था को चुनौती दी।
वही वो हिंदू और मुस्लिम भाईचारे के समर्थक थे और दुनिया भर में घूम-घूम कर लोगों को प्रेम और भाईचारे से रहने का पाठ पढ़ाते थे और अंधविश्वासों के कट्टर विरोधी थे। फिर उन्होने उनके साथ के कुछ लोगों को अपना शिष्य बनाया और एक नये धर्म की स्थापना की और बाद मे उन्होने कयी जगह की यात्रा की जहा जाते वहीं रहकर वो उपदेश देते आज भी उनके उपदेश गुरु ग्रंथ साहिब में संग्रहीत किये है।
गुरु नानक देव जी ने अपने उपदशो की रचनाये बनाई और कुछ दिन के बाद उन रचनावो ने एक पोथी का रूपांतरण ले लिया उन रचनाओं को बाद मे अपने उन्होने आपने एक शिष्य गुरु अंगद देव को सौंप दिया जो बाद में सिक्खों के दूसरे गुरुबने और उन्होने गुरु नानक देव जी के सिद्धांतों का प्रचार प्रसार लिया।
गुरु नानक देव जी कि मृत्यू
करतारपुर मे उन्होने लोगो को साथ मे जोड़ा और जोड़ने के बाद उन्हे एकेश्वर वाद का महत्व समझाया आपने जीवन के आंखरी 17 साल 5 महीने 9 दिन इसी करतारपुर में ही गुजारे और वो आश्वन कृष्ण 10 संवत् 1597 मतलब आज के हिसाब से 22 सितंबर 1539 ईस्वी को स्वर्ग सिधार गये।
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हमे उम्मीद है गुरु नानक जयंती की जानकारी आपको पसंद आयी होगी और गुरु नानक जयंती का
महत्व क्या है आपको बखुबी समज आया होगा इसी तरह की तमाम और भी बोहत सी जानकारी आपके लीये हम लाते रहेंगे।
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